सुवर्ण प्राशन

What is Suvarna Prashan ?

मनुष्य के जीवन मे 16 सोलह प्रकार के संस्कार होते हैं उन्हीं मे से एक संस्कार स्वर्ण प्राशन भी होता है स्वर्ण प्राशन या स्वर्ण बिंदु प्राशन का अर्थ होता है स्वर्ण आदि आयुर्वेद की बहुमूल्य एवं विशुद्ध औषधियों जैसे गाय का गीयी शहद ब्राम्‍ही शंखपुष्पी एवं कई मेधा बुद्धि एवं बाल वर्धक औषधियों से निर्मित एक मीठा सीरप जिसकी सिर्फ़ 1 से 2 बूँद बचों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ती है और शारीरिक मानसिक एवं बुद्धि के विकास मे अति लाभकारी एवं आवश्यक है आधुनिक चिकित्सा मे जिस तरह पोलीयो ड्रॉप टीका कारण आदि किया जाता है वैसे ही आयुर्वेद मे स्वर्ण प्राशन बिंदु प्रतिमाह पुशय नक्षत्र मे 1 से 2 बूँद पिलाया जाता है |

सुवर्ण प्राशन कैसे किया जाता हैं ?

What is the Method of Swarna Prashana ?

0 (जन्म) से लेकर 16 वर्ष के आयु तक के बच्चों में सुवर्णप्राशन किया जाता हैं। बच्चों में बुद्धि का 90% विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है और इसलिए आवश्यक है की बचपन से ही सुवर्णप्राशन कराया जाये।

  • बच्चों में सुवर्णप्राशन सुबह खाली पेट कराना चाहिए।
  • पुष्य नक्षत्र के दिन जो की हर 27 वे दिन आता हैं, सुवर्णप्राशन कराना चाहिए ।
  • सुवर्णप्राशन में शहद का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे फ्रिज में या बेहद गर्म तापमान में नहीं रखना चाहिए।
  • सुवर्णप्राशन करने के आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद तक कुछ खाना या पीना नहीं चाहिए।
  • अगर बच्चे बीमार है तो सुवर्णप्राशन नहीं कराना चाहिए।
  • सुवर्णप्राशन लगातार हर पुष्य नक्षत्र के दिन दिया जा सकता हैं।
  • सुवर्णप्राशन के अंदर सुवर्ण भस्म, वचा, ब्राम्ही, शंखपुष्पी, आमला, यष्टिमधु, गुडुची, बेहड़ा, शहद और गाय के घी जैसे आयुर्वेदिक औषधि का इस्तेमाल होता हैं।

सुवर्णप्राशन की मात्रा / Dosage

सुवर्णप्राशन की मात्रा / आयु पुष्य नक्षत्र के दिन
0 (जन्म) से लेकर 2 महीने तक 2 बूंद / drops
2 से 6 महीने तक 3 बूंद / drops
6 से 12 महीने तक 4 बूंद / drops
1 वर्ष से 5 वर्ष 6 बूंद / drops
5 वर्ष से 16 वर्ष 7 बूंद / drops

सुवर्णप्राशन में सुवर्ण का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए वह शुद्ध और शास्त्रोक्त विधि से तैयार किया हुआ होना जरुरी होता हैं।

सुवर्णप्राशन के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं ?

What is the Benefits of Swarna Prashana ?

महर्षि कश्यप ने ग्रन्थ कश्यप संहिता में सुवर्ण प्राशन का इस तरह वर्णन किया हैं -

“सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम्।
आयुष्यं मंगलम पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम्।।
मासात् परममेधावी क्याधिर्भिनर च धृष्यते।
षड्भिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद भवेत्।। "

सुवर्णप्राशन यह मेधा (बुद्धि), अग्नि (पाचन) और बल (power) बढ़ाने वाला होता हैं। यह आयुष्य बढ़ाने वाला, कल्याणकारी, पुण्यकारक, वृष्य और ग्रहपीड़ा (भूतबाधा, शनि) दूर करने वाला बच्चों में सुवर्ण प्राशन देने से बच्चो की बुद्धि तीव्र होती है और कई रोगो से उनकी रक्षा होती हैं। 6 महीने तक इसका उपयोग करने से बच्चे श्रुतधर (एक बार सुनाने पर याद होनेवाले) बन जाते हैं।

नियमित सुवर्णप्राशन करने से निचे दिए हुए स्वास्थ्य लाभ होते हैं :

  • रोग प्रतिरोधक शक्ति : सुवर्ण प्राशन करने से बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति मजबूत होती हैं। वह आसानी से बीमार नहीं पड़ते हैं और बीमार पड़ने पर भी बीमारी का असर कम रहता हैं। बच्चों में दात आते समय होने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता हैं।
  • शक्ति / Stamina : सुवर्ण प्राशन कराने से बच्चे शारीरिक रूप से भी मजबूत बनते है और उनकी शक्ति हम उम्र के बच्चों से ज्यादा बेहतर रहता हैं।
  • बुद्धि / Intelligence : ऐसे बच्चों की स्मरण शक्ति अच्छी होती हैं। वह आसानी से बातों को समझ लेते है और याद कर लेते हैं। सुवर्णप्राशन कराने से बच्चो की बुद्धि तेज होती हैं।
  • पाचन / Digestion : सुवर्णप्राशन कराने से बच्चे चाव से खाना खाते हैं। उन्हें भूक अच्छी लगती हैं बच्चों में पाचन ठीक से होता हैं।
  • रंग / Color : सुवर्णप्राशन करने से बच्चों की त्वचा सुन्दर रंग और रूप में भी निखार आता हैं। त्वचा कांतिवान होती हैं।
  • एलर्जी / Allergy : बच्चों में एलर्जी के कारण अक्सर दमा और खुजली कफ जैसे की खांसी, जैसी समस्या ज्यादा होती हैं। सुवर्णप्राशन सेवन करने से एलर्जी में कमी आती है यह बेहद उपयोगी महत्वपूर्ण, संस्कार / विधि हैं।

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